
सहारनपुर
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अद्भुत सुविख्यात नंदीश्वर दीप से अलंकृत अतिशयकारी चंद्रप्रभ भगवान के चौधरियाॅन क्षेत्र में स्थित पवित्र पावन जिनालय में जैन समाज के श्रद्धालुओं के विशाल समुदाय को संबोधित करते हुए क्षमावाणी पर्व पर अध्यक्ष राजेश कुमार जैन ने कहा विश्व में जैन दर्शन एकमात्र ऐसा दर्शन है,जिसमें वर्ष में तीन बार दश लक्षण पर्व मना कर हम जाने अनजाने में हुए अपनी त्रुटियों दोषों और अपराधों के लिए प्राणी मात्र से क्षमा मांगते हैं, ताकि किसी जीव में हमारे प्रति बदले की भावना उत्पन्न न होने पाये,जैन धर्म का यह
अद्भुत पर्व हमें जन्म मरण के बंधनों से मुक्त कराकर कल्याण में निमित्त बनता है,आचार्यो के उपदेशानुसार,मैं जनपद और समाज में सभी से,जिनके प्रति मेरे द्वारा कभी जाने अनजाने में कार्य हित में, समाज की एकजुटता के हित में,धार्मिक मांगलिक कार्यों को कराने की दृष्टि से,जैन समाज के अध्यक्ष के रूप में, सिविल डिफेंस के मुख्य वार्डन के रूप में तथा जनपद के पत्रकार के रूप में कार्य के दबाव के
कारण अत्यधिक जनसंपर्क के कारण यदि किसी को कटु वचन कहा गया हो, मेरे किसी व्यवहार से किसी को किंचित भी पीड़ा हुई हो तो उसको अपने हृदय से विस्मृत करते हुए,क्षमा प्रदान करें, मेरे हृदय में भी सभी के प्रति क्षमा भाव हैं।अध्यक्ष राजेश कुमार जैन ने कहा दश लक्षण महापर्व का प्रारंभ उत्तम क्षमा से होता है और समापन क्षमा वाणी से होता है अर्थात धर्म के मूल में भी क्षमा है और धर्म के
शीर्ष पर भी क्षमा है,दशलक्षण धर्म में समाज के सभी श्रावक श्राविकाओं द्वारा व्रत उपवास रखकर,अभक्ष्य-भोजन का त्याग कर,रात्रि भोजन का त्याग करके,अधिकतम समय देवशास्त्रगुरु की भक्ति में व्यतीत किया है, इसी भावना को जारी रखते हुए,आपस के राग देष वैमनस्य नफरत घृणा के भावों को हृदय से मिटा दे,राग देष से किसी को कभी भी कुछ प्राप्त नहीं हो सकता,प्रेम स्नेह वात्सल्य सम्मान में
बहुत बड़ी ताकत है इससे असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं,आपस में सबंध भी प्रगाढ हो जाते हैं,अत: महावीर भगवान के उपदेशों को आत्मसात करते हुए क्षमा वाणी पर्व पर यह संकल्प लेना चाहिए की एक दूसरे से कभी राग देष नफरत नहीं करेंगे, तभी धर्म की आराधना सार्थक होगी और मनुष्य के रूप में सफल होगा।क्षमावाणीपर्व पर व्रती श्रावक अनिल जैन सीए ने कहा धर्म सैद्धांतिक नहीं
है,धर्म प्रयोगात्मक है, धर्म को जीवन में व्यवहार में लाने की आवश्यकता है, यदि कोई हमें अपमानित करें,उपेक्षा करें, पीड़ा दे आर्थिक हानि करें, तब सकारात्मक रुप यह मानते हुए कि पूर्व में हमारे द्वारा इनके साथ ऐसा ही व्यवहार किया गया होगा,उस पर क्रोध न करें, उसको धन्यवाद व्यापित करें, चरण स्पर्श करें, उसने आपके कर्मों की निर्जरा कराने मे महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया है, वह
साधुवाद और कृृतज्ञता का पात्र है।वार्षिक गजरथ यात्रा महोत्सव के मुख्य संयोजक राकेश जैन ने कहा उत्तम क्षमा जैन धर्म का मुख्य मंत्र है, किसी से विसंवाद होने पर, उसे विवाद में न बदले, विवाद से वैमनस्य हो जाता है,जिससे जीवन भर बैर चलता रहता है, तत्काल क्षमा कर दें, और क्षमा मांग ले,इससे हृदय परिवर्तन होगा और अपनी गलती का एहसास होगा, लेकिन क्षमा मांगने और क्षमा करने का साहस
केवल वीर कर सकते हैं क्योंकि यह वीरों का आभूषण है, कायर यह नहीं कर सकते, समर्थ होने पर किसी को क्षमा करना व्यक्तित्व की महानता है।क्षमावाणी कार्यक्रम में संरक्षक चंद्र जैन,कुलभूषण जैन,महामंत्री संजीव जैन,उपाध्यक्ष विपिन जैन,कोषाध्यक्ष अरुण जैन,उपमंत्री अविनाश नाटी,चौ.संदीप जैन,चौधरी अनुज जैन,चौधरी अजीत जैन,चौधरी अनिल जैन मंटू,उपचौधरी संदीप जैन,नवीन-मनीष
जैन,पुष्पेंद्र जैन,मनोज जैन,देवेंद्र जैन,मुकेश जैन, राजा जैन,नितिन जैन,पंकज जैन,दीपक जैन,विनय जैन,रवि जैन, जैन,अजय जैन,श्रेयांश जैन, जैन और राजीव जैननमन जैन धीरज जैन टीटू आचमन जैन विनय जैन बॉबी जैन अक्षत जैन सिद्धार्थ जैन भव्य जैन रविन्द्र जैन प्रभात जैन पारस जैन धवल जैन रमेश चंद जैन नवीन जैन विपिन जैन राजीव जैन , सहित सैकड़ो श्रावक श्राविकाएँ उपस्थित थे।